मेजर साहब के समर्थन में —
अब ना और ये चौहान घर के जयचंदों और गोरियों की दुष्ट चालों से ना छलते जाएँगे
अब ना और वीर शहीदों के और वीर सैनिकों के दिलों के ना अरमान जलते जाएँगे
अब ना खुद को अकेला समझो मेजर साहब अब ना आस्तीन के ये साँप पलते जाएँगे
छोड़ के कलम हम भी बाँध के कफ़न साथ देने आपका मैदान-ए-जंग चलते आएँगे
कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”
9675426080
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