मंगलवार, 15 मार्च 2016

आग ही लगा दो

धर्मग्रंथ खो गये हैं वेद मंत्र सो गये हैं और आग लगी गंगा यमुना के पानी में
बेटियों की और गऊ माँ का हुआ हाल बुरा, खोट लगे सबको भगवान की निशानी में
सब्र अब खो रही है भारती माँ रो रही है उलझे सभी हैं हीर रांझा की कहानी में
देश धर्म के हितों काम ना आ पाए फिर आग ही लगा दो ऐसी अल्हड़ जवानी में

कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”
9675426080

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