सोमवार, 14 मार्च 2016

इस्लामिक आतंक

बच्चों, निर्दोषों, अबलाओ की हत्या पर अमन चैन की दुहाई देने वाले इस्लामिक आकाओं को ललकारती मेरी ताजा रचना —

रचनाकार- कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”
whatsapp 9675426080

कहाँ मुसल्लम की ठेकेदारी है और ईमान कहाँ
अमन चैन चिल्लाने वाला वो भडुआ इंसान कहाँ

कहाँ गया इस्लाम धर्म को नेक पाक कहने वाला
पैगम्बर का दूत और वो मानवता का रखवाला

कहाँ गये आरएसएस को आईएस जैसा कहने वाले
कहाँ गये मुल्ले काजी वो भारत में रहने वाले

कैसा अमन चैन फैलाया इस जग में इस्लामी ने
असुरों को भी पीछे छोड़ा आज पुरुष इस कामी ने

आँखों में है हवस लहू से लथपथ मुख इनके सारे
खुद को रक्षक कहते सब हैं मानवता के हत्यारे

खतरा खुद ही बन बैठे चिल्लाते हैं खतरा खतरा
अबला मासूमों को भी अब कर डाला कतरा कतरा

जिसको ना था ज्ञान जहाँ में झूट और सच्चाई का
जिसको ना था भान बुराई का ना और अच्छाई का

जिसके मात पिता ही उसके जीवन के पैगम्बर थे
माता ही तो धरा थी उसकी और पापा ही अम्बर थे

उस मासूम से भी खतरा इस्लाम को तो ये धर्म नहीँ
ये रस्ता है हत्यारों का ये जीवन का मर्म नहीँ

जिसने नारी को बच्चों की एक मशीन बताया है
जिसने बिनबोलो का हरदम माँस यहाँ पर खाया है

सब मुल्लो जाकर कह दो उन इस्लामिक आकाओं से
धर्म नहीँ बस जाल है ये जिसको खतरा अबलाओ से

धर्मअन्ध की अंधाधुंध में अब मत जाना भूल यहाँ
गुलशन के संग में हमने भी उपजाए हैं शूल यहाँ

सुन लो नीच नपुंसक सारे अब बगदादी के पिल्लो
दम है तो आओ मैदान-ए-जंग में अब सारे मुल्लो

जिस दिन राणा के रण की बुझती चिंगारी भड़केगी
बन्दा वीर बहादुर की धड़कन जब दिल में धड़केगी

रक्त लगेगा दुश्मन का जब जंग लगी तलवारों में
आग लगेगी मोमिन के जेहादी अत्याचारों में

ये “देवेन्द्र आग” कहे सोया हिंदू जग जाएगा
अल्ला अकबर चिल्लाते मुख में ताला लग जाएगा

फ़िर न चलेगी बात बात पर बेहूदी फतवेबाजी
बच्चों और अबलाओ पर ये अब घटिया सौदेबाजी

गीदड़ और सियारों की ये नस्ल ख़त्म हो जाएगी
खुद की चाल से भस्मासुर की देह भस्म हो जाएगी

अमन चैन मानवता के जग में किस्से गढ़ जाएँगे
छोड़ कुरानी आयत सब भगवत गीता पढ़ जाएँगे

————–कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”

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