सड़कों पर कुचले हुए
बेजुबान जानवरों के
बेजान शव क्या
इस बात के गवाह
नहीं है
की हमारे अंदर
इंसानियत का स्तर
अभी उस पैमाने से
कोशों दूर है
जिस पर हम
गर्व कर सकते है
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