सोमवार, 7 मार्च 2016

हर्षित मन

संवेदनाओं की लहर इतनी हैं
जितनी आकाश में उड़ती हवाए
हवाओ में खुश्बू जैसे नवकंज
पानी की सतह पर तैरते कमल के पत्ते
उन पत्तों पर पड़े जितनी ओस की बुदे
उतनी ही संवेदनाओं से पल्लवित, पुष्पित
सुगन्धित, आन्दोलित और हर्षित मन
सविता वर्मा

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