मंगलवार, 15 मार्च 2016

माँ

सबसे प्यारी हैं वो ,
सबसे न्यारी हैं वो,
मुनिया हुईं मैं उसकी
मेरी दुनिया सारी हैं वो.
हर वक़्त मुझे उसका स्पर्श हैं
वो मेरी ज़िन्दगी का आदर्श हैं
उसका स्नेह, उसके संस्कार
उसका दुलार, उसके विचार
हो कभी कुछ गलत,
ज़ोरो की लगाती हैं फटकार.
ऐसी हैं उसकी प्रवृत्ति
यही हैं उसका आकर.
उसने रिश्तें बनाना सिखाया हैं
रिश्तों को निभाना सिखाया हैं
वो इस जग की नारी हैं
उसकी सच्चाई और अच्छे ,
हर झूठ और बुराई पे भरी हैं.
वो मेरी पक्की सहेली हैं, मैं उसकी बुनी पहेली हूं
बचपन में उसके आँचल में, छुप-छुपकर खेली हूं
वो हर सही गलत का अंतर बताती हैं
हाथ सर पे लगते ही उसका,
सारी परेशानी छू-मंतर हो जाती हैं
वो मेरी ताकत हैं ,वो मेरा सहारा हैं
मेरी ज़िन्दगी का वहीं एक आसरा हैं
ममता का वो प्याला हैं
वो अनगिनत गुणों की माला हैं
कभी डगमगाए पग मेरे,
उसने मुझे संभाला हैं
ज़िन्दगी इसके बिना, मैं एक तन्हाई हूं
ये मेरी माँ हैं, मैं इसकी परछाई हूं

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