* कामनी *
कनक छड़ी सी कामनी
सुन्दर वन की वासनी
बोले ऐसे जैसे बुलबुल
चले ऐसे जैसे हिरणी
नाचे ऐसे जैसे मोरनी ,
उसका रूप है अनमोल
सूरत सीरत का न कोई तौल
वह है ऐसे जैसे उगता सूर्य
चाँद की हो चाँदनी ,
उसके लिए क्या मैं लिखूं
वह है मधुमिता
वह है सुस्मिता
कोई नहीं उसके जैसा
कनक छड़ी सी कामनी।
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