मुझे सजा देने वाले इल्जाम तो बता जा!! न कर मुझसे बात निगाहों से जता जा! कोई तो डोर थी हमारे दरमियान एक झटके में धागा तोड़ के न जा! अजनबी हो जाऊ खुद से ही इस कदर बेरूखी न दिखा जा!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें