शनिवार, 12 मार्च 2016

"मौत से कोन बच पाया है "

हर रोज किसी ना किसी की मौत की खबर आती हैं ।
मुझको भी अब मेरी मंजिल साफ नजर आती हैं ।
गुजरता है जब मेरी गली से भी किसी का जनाजा ,
मेरी जिंदगी भी नजर मुझे मुख़्तसर आती हैं ।
क्या करेंगे खुदा से हम उम्र-ए दराज मांग कर ,
सालो साल जीने के बाद भी मौत तो मगर आती है ।
मौत से कोन बच पाया है आज तक “एझाझ”
तुम जिधर भी चले जाओ ये उधर आती है ।
-एझाझ अहमद

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