आज दुल्हन के लाल जोड़े मे,
उसे सखियों ने सजाया होगा .
मेरी जान के गोरे हाथो को
मेहँदी से रचाया होगा
गहरा होगा मेहँदी का रंग
उसमे नाम छुपाया होगा
रह रह कर वो रोई होगी
जब भी ख्याल मे आया होगा
दर्पण मे खुद को देखकर
अक्स मेरा ही पाया होगा
परी सी लग रही होगी वो आज
मगर कैसे खुद को समझाया होगा
अपने हाथो से उसने आज
खतो को मेरे जलाया होगा
मजबूत खुद को करके उसने
यादों को मेरी मिटाया होगा
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