शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

देश की अखंडता

भीषण हिंसा की आग, जल रहा कोक्राझार।
समती न आज आग, देखिए असम की।।
त्राहि माम त्राहि माम, मचा पूरे देश शोर।
देखो दबी

पूरा पढ़े ...

देश की अखंडता

भीषण हिंसा की आग, जल रहा कोक्राझार।
समती न आज आग, देखिए असम की।।
त्राहि माम त्राहि माम, मचा पूरे देश शोर।
देखो दबी

पूरा पढ़े ...

देश की अखंडता

भीषण हिंसा की आग, जल रहा कोक्राझार।
समती न आज आग, देखिए असम की।।
त्राहि माम त्राहि माम, मचा पूरे देश शोर।
देखो दबी

पूरा पढ़े ...

भूत और ये भूतईया खेल / सुचेता

कुछ लोग भूत बनाते हैं
कुछ लोग इन्सानों में भूत बताते हैं
तो कुछ लोग इन लोग के सहारे ऐसे बन जाते हैं ,
जो भूत भगाते

सुचेता

दिवाना दिल ।(गीत)

दिवाना दिल ।(गीत)

http://mktvfilms.blogspot.in/2012/08/blog-post_31.html


दिवाना दिल फिर, मुकम्मल जगह ढूंढता है ।

तुझे भूलाने की, ठोस वजह

पूरा पढ़े ...

मा

हर माँ को यह नाज होता है

उसका बेटा उसकी आवाज होता है

कितना भी दूर हो वो जहाँ में

माँ के दिल के

पूरा पढ़े ...

मेरे विश्वास

 

मैंने माना

कि तुझे अपनों से बहुत प्यार है

कि तुम सवालों में नहीं चाहते उलझना

तुझे डर है कि /सवालों के जाल

पूरा पढ़े ...

आदमी

आदमी /जीता है जिन्दगी

अपने पुरे होश-हवाश में

एक-एक कर /हर ठिकाने पर रुकता है

सम्भलता है ,फिर /बढता है आगे

पूरा पढ़े ...

जख्म

आवादी के दलदल में /धंसे पैर लेकर

उबरने की कोशिश में

और धंसता जा रहा है /आहत देश |

ह्रदय की कन्दराओं में /स्निग्ध

पूरा पढ़े ...

तेरे वगैर

बहुत मुश्किल है /तेरे वगैर जीना |
भरमता ही रहा /पहाड़ की तलहटियों में
नदी के किनारों के संग
नदी भी चलती रही /साथ-साथ

पूरा पढ़े ...

तेरे वगैर

बहुत मुश्किल है /तेरे वगैर जीना |
भरमता ही रहा /पहाड़ की तलहटियों में
नदी के किनारों के संग
नदी भी चलती रही /साथ-साथ

पूरा पढ़े ...

खल नेताजी की कमाई ।

चले न चले संसद पर, कमाई रहती जारी है ।

संसद से सड़क तक देख, लड़ाई होती भारी है ।

१.

इटली कि किटली जब, चूल्हे पे चढ़

पूरा पढ़े ...

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

देश की अखंडता

भीषण हिंसा की आग, जल रहा कोक्राझार।
समती न आज आग, देखिए असम की।।
त्राहि माम त्राहि माम, मचा पूरे देश शोर।
देखो दबी

पूरा पढ़े ...

देश की अखंडता

भीषण हिंसा की आग, जल रहा कोक्राझार।
समती न आज आग, देखिए असम की।।
त्राहि माम त्राहि माम, मचा पूरे देश शोर।
देखो दबी

पूरा पढ़े ...

ruk jaa

ek dafa dekh le, mein bhi ruka hoon teri rahon mein
haan mein tujhse pyaar nahi karta, per tujhe ehsaas karta hoon
kisi din tu bhi tadpegi, mere liye iska vishwaas hai mujhe
aisa na ho mein intezaar karu tera kaabra pe, aur tu kare intezaar mera
ek dafa dekh le, mein bhi ruka hoon teri rahon

पूरा पढ़े ...

ruk jaa

ek dafa dekh le, mein bhi ruka hoon teri rahon mein
haan mein tujhse pyaar nahi karta, per tujhe ehsaas karta hoon
kisi din tu bhi tadpegi, mere liye iska vishwaas hai mujhe
aisa na ho mein intezaar karu tera kaabra pe, aur tu kare intezaar mera
ek dafa dekh le, mein bhi ruka hoon teri rahon

पूरा पढ़े ...

खल नेताजी की कमाई । (व्यंग)

खल नेताजी की कमाई । (व्यंग)

http://mktvfilms.blogspot.in/2012/08/blog-post_30.html

चले न चले संसद पर, कमाई रहती जारी है ।

संसद से सड़क तक देख,

पूरा पढ़े ...

खल नेताजी की कमाई । (व्यंग)

खल नेताजी की कमाई । (व्यंग)

http://mktvfilms.blogspot.in/2012/08/blog-post_30.html

चले न चले संसद पर, कमाई रहती जारी है ।

संसद से सड़क तक देख,

पूरा पढ़े ...

खल नेताजी की कमाई । (व्यंग)

खल नेताजी की कमाई । (व्यंग)

http://mktvfilms.blogspot.in/2012/08/blog-post_30.html

चले न चले संसद पर, कमाई रहती भारी है ।

संसद से सड़क तक देख,

पूरा पढ़े ...

खल नेताजी की कमाई । (व्यंग)

खल नेताजी की कमाई । (व्यंग)

http://mktvfilms.blogspot.in/2012/08/blog-post_30.html

चले न चले संसद पर, कमाई जारी रहती है ।

संसद से सड़क तक देख,

पूरा पढ़े ...

बुधवार, 29 अगस्त 2012

"क" / निष्कर्ष

मिले जो किस्मत और कर्म
तो "क" से बनी कठिनाई |
हिली जो रोजमर्रा की पगडंडी,
तब वीधाता कि याद आई |

बस एक एहसास था
शायद मन

निष्कर्ष कौशल

किसान / निष्कर्ष

डूबा सूरज की आँखें लगी थी बुझने,
उसकी चाल में थी लडखडाहट
उसका मन चला मचलने |

उसकी हालत देख एक सैलाब उठा,
उस अधेड को

निष्कर्ष कौशल

चुनाव प्रचार / निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश में लगा मेला
नेताओं का,उनके परिवारों का |
पीटते प्रदेश में सुयश का ढोल,
अपने जमीर से हारों का|
झूठे

पूरा पढ़े ...

चुनाव प्रचार / निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश में लगा मेला
नेताओं का,उनके परिवारों का |
पीटते प्रदेश में सुयश का ढोल,
अपने जमीर से हारों का|
झूठे

निष्कर्ष कौशल

रिश्ते / निष्कर्ष

मैनें रिश्तों को बिखरते देखा है,
कुछ फ़ायेदों, कुछ कायेदों के लिये|
सुविधाओं के लिये, बुनियादी आवयश्कताओं के

निष्कर्ष कौशल

रिश्ते / निष्कर्ष

मैनें रिश्तों को बिखरते देखा है,
कुछ फ़ायेदों, कुछ कायेदों के लिये|
सुविधाओं के लिये, बुनियादी आवयश्कताओं के

निष्कर्ष कौशल

चिथड़ेहाल आसरा - बुढ़ापा । (गीत)

चिथड़ेहाल आसरा - बुढ़ापा । (गीत)



कब से, ढूँढ रहा है आसरा, फ़टा-पुराना मन ।


चिथड़ेहाल हुआ जब से, ये नया-नवेला

पूरा पढ़े ...

Parivartan

पूरा पढ़े ...

Parivartan

पूरा पढ़े ...

यह निशानी किसकी है ?

आसमाँ नीले गुब्बारे की तरह उड़ गया
सूरज पतंग की तरह ताड़ पर आ लटका
ज़मीन तांबे की हो गयी
सारा शहर मुर्दा हो गया
कहते

पूरा पढ़े ...

दिल से

दिवार से मेरा नाम मिटा तो दोगे पर, दिल से कैसे..!

याद आऊँगा फिनिक्स बन कर, आये वो जल कर जैसे ।

 

तहज़ीब का तकाज़ा

पूरा पढ़े ...

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

दिल से । (गीत)

दिल से । (गीत)

http://mktvfilms.blogspot.in/2012/08/google.html

दिवार से मेरा नाम मिटा तो दोगे पर, दिल से कैसे..!


याद आऊँगा फिनिक्स बन कर,

पूरा पढ़े ...

parivartan

पूरा पढ़े ...

मेरे प्राणेश-
यह आखिरी शाम,
और वह भी ,बीत गयी.
तुम्हारी वह, खामोशी,
आज फिर से, जीत गयी.
कुछ भी तो मुझे न मिला,
न राधा का

पूरा पढ़े ...

मैं तुम्हारी हूँ

मेरे प्राणेश-


यह आखिरी शाम,


और वह भी ,बीत गयी.


तुम्हारी वह, खामोशी,


आज फिर से, जीत गयी.


कुछ भी तो मुझे न

पूरा पढ़े ...

सर्वप्रथम उन वीरोँ को

जिन्होने अपनी मातृभूमि कि, स्वतन्त्रता मेँ किया है काम ।
सर्वप्रथम उन वीरोँ को, दिल से मै करता हूँ प्रणाम ॥
आओ उनको

पूरा पढ़े ...

सर्वप्रथम उन वीरोँ को

जिन्होने अपनी मातृभूमि कि, स्वतन्त्रता मेँ किया है काम ।
सर्वप्रथम उन वीरोँ को, दिल से मै करता हूँ प्रणाम ॥
आओ उनको

पूरा पढ़े ...

अन्जान हूँ मैं

साँसों के भारी कोलाहल से, परेशान हूँ मैं..!

उसकी सहर मिटाने को, बहुत बे-उनमान हूँ मैं ।

 

अनचाहे ग़मों से भर गया

पूरा पढ़े ...

सोमवार, 27 अगस्त 2012

इक बार आके मेरा गाँव देखिए !

इक बार आके मेरा गाँव देखिए !
कितने बदल गये है लोग उनका स्वभाव देखिए
माँ कि तरह भाभियाँ भी जहाँ करती थी

पूरा पढ़े ...

वन्दे मातरम

जिन्होने अपनी मातृभूमि कि, स्वतन्त्रता मेँ किया है काम ।
सर्वप्रथम उन वीरोँ को, दिल से मै करता हूँ प्रणाम ॥

आओ

पूरा पढ़े ...

वन्दे मातरम

जिन्होने अपनी मातृभूमि कि, स्वतन्त्रता मेँ किया है काम ।
सर्वप्रथम उन वीरोँ को, दिल से मै करता हूँ प्रणाम ॥

आओ

पूरा पढ़े ...

वन्दे मातरम

जिन्होने अपनी मातृभूमि कि, स्वतन्त्रता मेँ किया है काम ।
सर्वप्रथम उन वीरोँ को, दिल से मै करता हूँ प्रणाम ॥

आओ

पूरा पढ़े ...

वन्दे मातरम

जिन्होने अपनी मातृभूमि कि, स्वतन्त्रता मेँ किया है काम ।
सर्वप्रथम उन वीरोँ को, दिल से मै करता हूँ प्रणाम ॥

आओ

पूरा पढ़े ...

''इक्कीसवी सदी का इंसान ''

''इक्कीसवी सदी का इंसान ''
इक्कीसवी सदी का इंसान,
समझ बैठा अपने को भगवान,
कर रहा अपने हाथों के उध्वंस से ,
इस देश का नव

पूरा पढ़े ...

फिर एकबार...

जब-जब उम्मीद बनती है

लोगों का लोगों पर

विश्वास जागता है

सामने से कोई पत्थर आता है

और तमाम

सुरक्षा घेरे को

पूरा पढ़े ...

अन्जान हूँ मैं । (गीत)

(The Show Must Go on.)


अन्जान हूँ मैं । (गीत)


http://mktvfilms.blogspot.in/2012/08/blog-post_27.html


साँसों के भारी कोलाहल से, परेशान हूँ मैं..!

उसकी

पूरा पढ़े ...

दिल का ऐसा भी क्या आना

दिल का ऐसा भी क्या आना

प्यार करना न करा पाना

 

ऐसी जिंदगी से क्या हासिल

खुशी देना न खुशी पाना

 

किताबों के

पूरा पढ़े ...

दिल का ऐसा भी क्या आना

दिल का ऐसा भी क्या आना

प्यार करना न करा पाना

 

ऐसी जिंदगी से क्या हासिल

खुशी देना न खुशी पाना

 

किताबों के

पूरा पढ़े ...

दम तोड़ती रही ज़िंदगी रात-भर

दम तोड़ती रही ज़िंदगी रात-भर

बेपरवाह महफ़िलें सजीं रात-भर

 

दंगों में मरते रहे बच्चे-बूढ़े सभी

इंसानियत शर्मशार

पूरा पढ़े ...

कुछ नियम

कुछ नियम ख़ास-ओ-आम होना चाहिए
दुआ सलाम सुबह-शाम होना चाहिए

नज़र ज़रूरी है सबकी कारगुज़ारी पर
ख़ुद का मगर गिरहबान होना

पूरा पढ़े ...

रिश्ते

मैनें रिश्तों को बिखरते देखा है,
कुछ फ़ायेदों, कुछ कायेदों के लिये|
सुविधाओं के लिये, बुनियादी आवयश्कताओं के

निष्कर्ष कौशल

रिश्ते

मैनें रिश्तों को बिखरते देखा है,
कुछ फ़ायेदों, कुछ कायेदों के लिये|
सुविधाओं के लिये, बुनियादी आवयश्कताओं के

निष्कर्ष कौशल

किसान

डूबा सूरज की आँखें लगी थी बुझने,
उसकी चाल में थी लडखडाहट
उसका मन चला मचलने |

उसकी हालत देख एक सैलाब उठा,
उस अधेड को

निष्कर्ष कौशल

रविवार, 26 अगस्त 2012

किसान

डूबा सूरज की आँखें लगी थी बुझने,
उसकी चाल में थी लडखडाहट
उसका मन चला मचलने |

उसकी हालत देख एक सैलाब उठा,
उस अधेड को

निष्कर्ष कौशल

किसान

डूबा सूरज की आँखें लगी थी बुझने,
उसकी चाल में थी लडखडाहट
उसका मन चला मचलने |

उसकी हालत देख एक सैलाब उठा,
उस अधेड को

निष्कर्ष कौशल

किसान

डूबा सूरज की आँखें लगी थी बुझने,
उसकी चाल में थी लडखडाहट
उसका मन चला मचलने |

उसकी हालत देख एक सैलाब उठा,
उस अधेड को

निष्कर्ष कौशल

किसान

डूबा सूरज की आँखें लगी थी बुझने,
उसकी चाल में थी लडखडाहट
उसका मन चला मचलने |

उसकी हालत देख एक सैलाब उठा,
उस अधेड को

निष्कर्ष कौशल

रिश्ते

मैनें रिश्तों को बिखरते देखा है,
कुछ फ़ायेदों, कुछ कायेदों के लिये|
सुविधाओं के लिये, बुनियादी

पूरा पढ़े ...

नेत्रदान

नेत्रदान

 

जिंदगी के लम्हें हैं कम,
हर लम्हों में जी लो जीवन,
मौत कभी भी है अनजान,
अमर रहना है, तो कर दो

पूरा पढ़े ...

हे खुदा सभी को खुशी देना

हे खुदा सभी को खुशी देना

लेकिन न ह्मारी सी खुशी देना

न ह्मारा सा दुःख

पूरा पढ़े ...

हे खुदा सभी को खुशी देना

हे खुदा सभी को खुशी देना

लेकिन न ह्मारी सी खुशी देना

न ह्मारा सा दुःख

पूरा पढ़े ...

एक शाम को मेरे मन को धुती हुई

एक शाम को मेरे मन को धुती हुई

एक आवाज आई वो किसी कि पायल

कि आवाज थी जिसकी आवाज के लिए

सभी कान बिचये बैटा है लेकिन

पूरा पढ़े ...

शनिवार, 25 अगस्त 2012

kavita

एक शाम को मेरे मन को धुती हुई

एक आवाज आई वो किसी कि पायल

कि आवाज थी जिसकी आवाज के लिए

सभी कान बिचये बैटा है लेकिन

पूरा पढ़े ...

नेत्रदान

नेत्रदान

 

जिंदगी के लम्हें हैं कम,
हर लम्हों में जी लो जीवन,
मौत कभी भी है अनजान,
अमर रहना है, तो कर दो

पूरा पढ़े ...

shyare

हे खुदा सभी को खुशी देना

लेकिन न ह्मारी सी खुशी देना

न ह्मारा सा दुःख

पूरा पढ़े ...

shyare

हे खुदा सभी को खुशी देना

लेकिन न ह्मारी सी खुशी देना

न ह्मशा दुःख

पूरा पढ़े ...

कभी सोचा ना था

कभी सोचा ना था की रुकना पङेगा !
इस जिन्दगी मे पीसना भी पङेगा !!
लोग कहते रह गये मै कभी झुका नही !
मै सहता रह गया लेकिन

पूरा पढ़े ...

कभी सोचा ना था

कभी सोचा ना था की रुकना पङेगा !
इस जिन्दगी मे पीसना भी पङेगा !!
लोग कहते रह गये मै कभी झुका नही !
मै सहता रह गया लेकिन

rishabh shukla

कभी सोचा ना था

कभी सोचा ना था की रुकना पङेगा !
इस जिन्दगी मे पीसना भी पङेगा !!
लोग कहते रह गये मै कभी झुका नही !
मै सहता रह गया लेकिन

rishabh shukla

कभी सोचा ना था

कभी सोचा ना था की रुकना पङेगा !
इस जिन्दगी मे पीसना भी पङेगा !!
लोग कहते रह गये मै कभी झुका नही !
मै सहता रह गया लेकिन

पूरा पढ़े ...

कभी सोचा ना था

कभी सोचा ना था की रुकना पङेगा !
इस जिन्दगी मे पीसना भी पङेगा !!
लोग कहते रह गये मै कभी झुका नही !
मै सहता रह गया लेकिन

पूरा पढ़े ...

औरत

वो कहती है

जलती रही हूँ वर्षों से

आगे भी जलती रहूँगी

तब तक

जब तक की खाक ना हो जाऊँ

ताकि उसके बाद भी

काम आ

पूरा पढ़े ...

औरत

वो कहती है

जलती रही हूँ वर्षों से

आगे भी जलती रहूँगी

तब तक

जब तक की खाक ना हो जाऊँ

ताकि उसके बाद भी

काम आ

पूरा पढ़े ...

असमय ही बन पड़ती है कविताएँ ..

कभी -कभी

असमय ही बन पड़ती हैं कविताएँ

शब्दों के बाढ़ उमड़ पड़ते हैं जेहन में

काफी तीव्र हो जाती है

सोचने की

पूरा पढ़े ...

मिट्टी की हाँडी

अपने वतन की मिट्टी से बनी हाँडी

हाँडी में बनी चाय

चाय की सोंधी सोंधी खुशबू

खुशबू अपने वतन की मिट्टी की

अलग अलग

पूरा पढ़े ...

मिट्टी की हाँडी

अपने वतन की मिट्टी से बनी हाँडी

हाँडी में बनी चाय

चाय की सोंधी सोंधी खुशबू

खुशबू अपने वतन की मिट्टी की

अलग अलग

पूरा पढ़े ...

पुराने रास्ते

मंजर भी वही था रास्ते अलग थे
मंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे
कहानी वही थी पर सपने अलग थे
आवाज़ वही थी पर कदम अलग

दिनेश पारीक

पुराने रास्ते

मंजर भी वही था रास्ते अलग थे
मंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे
कहानी वही थी पर सपने अलग थे
आवाज़ वही थी पर कदम अलग

पूरा पढ़े ...

नेताजी,मानता हूँ ।

नेताजी,मानता हूँ ।

मेरे आख़री निवाले पर भी, हक़ है आप का, मानता हूँ ।

नेताजी, फिर भी आप रह जायेंगें भूखे, मैं जानता

पूरा पढ़े ...

shyare

हे खुदा सभी को खुशी देना लेकिन न ह्म सी खुशी देना न ह्म सा दुःख

पूरा पढ़े ...

shyare

हे खुदा सभी को खुशी देना लेकिन ह्म सी न खुशी देना न ह्म सा दुःख

पूरा पढ़े ...

शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

aashman ka kaher

एक

पूरा पढ़े ...

aashman ka kaher

एक

पूरा पढ़े ...

ग़ज़ल

वह तेरी हंसी थी , वह कैसा समां था
मुअत्तर तेरी ज़ुल्फ़ से गुलसितां था ,

हिनाई सफ़र था , चमन नग़मा ज़न था
मेरी

पूरा पढ़े ...

शकुन्तला

दुर्वाशा के वचनो का ना था उन्हे ज्ञान !
वह सुन रही थी पक्षियो का सुरीला गान !!
दुर्वाशा ने क्रोधित होकर कहा

पूरा पढ़े ...

ग़ज़ल

क्यों समझ नहीं पाते पापा मेरे
आशियाँ में तुम हो अब बे बाल ओ पर ;

इन फिज़ाओं पर तुम्हारा हक नहीं
जाते हो सेहन ए चमन

पूरा पढ़े ...

रेत घरौंदा

वह सुनहरी सी थी

सुनहरी आज भी है

वह तपती थी

तपती आज भी है

समुंदर की इक प्यास लिए भटकती थी

भटकती आज भी है

कभी

पूरा पढ़े ...

रेत घरौंदा

वह सुनहरी सी थी

सुनहरी आज भी है

वह तपती थी

तपती आज भी है

समुंदर की इक प्यास लिए भटकती थी

भटकती आज भी है

कभी

पूरा पढ़े ...

रेत घरौंदा

वह सुनहरी सी थी

सुनहरी आज भी है

वह तपती थी

तपती आज भी है

समुंदर की इक प्यास लिए भटकती थी

भटकती आज भी है

कभी

पूरा पढ़े ...

नेताजी,मानता हूँ ।

नेताजी,मानता हूँ ।

http://mktvfilms.blogspot.in/2012/08/blog-post_24.html

मेरे आख़री निवाले पर भी, हक़ है आप का, मानता हूँ ।


नेताजी, फिर भी आप

पूरा पढ़े ...

कुछ नियम

कुछ नियम ख़ास-ओ-आम होना चाहिए
दुआ सलाम सुबह-शाम होना चाहिए

नज़र ज़रूरी है सबकी कारगुज़ारी पर
ख़ुद का मगर गिरहबान होना

पूरा पढ़े ...

बेक़रार दिल । (गीत)

 

बेक़रार दिल । (गीत)

दर - दर की ठोकरें खाने को, दिल बेक़रार है ।

किसीने कह दिया उसे, उनको हम से प्यार है

पूरा पढ़े ...

दिल की दरार

दिल की दरार । (गीत)

दिल की दरार से, दर्द का लावा बह रहा है ।

दोस्त, राख बन कर अब वो, पछतावा कर रहा है

पूरा पढ़े ...

मैं एक बेरोजगार हूँ

मैं एक बेरोजगार हूँ



मैं इसी देश में बसने बाला, सच्चाई से जीने बाला

मगर अब भार हूँ ,क्योंकि मैं एक

पूरा पढ़े ...

कह क्यों नहीं देती...?

तुम्हे तो हर रोज भीगना होता है

हर रोज सहना होता है

अनचाहे स्पर्श को,

हर रोज सामना होता है

दैत्यों से,

मैं पूछता

पूरा पढ़े ...

माँ को मालूम नहीं है...

माँ को मालूम नहीं है

की लिख चुका हूँ

कितनी ही कविताएँ उसके नाम से,

उसे तो यह भी मालूम नहीं

की वो

मेरी कविताओं

पूरा पढ़े ...

समुंदर

समुंदर में मैं हूं

मुझ में समुंदर !

बारिश की बूँदें समुंदर में

और समुंदर बारिश की बूँदों में

मुझे करीब से

पूरा पढ़े ...

कुछ नियम

कुछ नियम ख़ास-ओ-आम होना चाहिए

दुआ सलाम सुबह-शाम होना चाहिए

नज़र ज़रूरी है सबकी कारगुज़ारी पर

ख़ुद का मगर गिरहबान

पूरा पढ़े ...

दिल की दरार

दिल की दरार । (गीत)

दिल की दरार से, दर्द का लावा बह रहा है ।

दोस्त, राख बन कर अब वो, पछतावा कर रहा है

पूरा पढ़े ...

बेक़रार दिल । (गीत)

 

बेक़रार दिल । (गीत)

दर - दर की ठोकरें खाने को, दिल बेक़रार है ।

किसीने कह दिया उसे, उनको हम से प्यार है

पूरा पढ़े ...

दिल की दरार

दिल की दरार । (गीत)

दिल की दरार से, दर्द का लावा बह रहा है ।

दोस्त, राख बन कर अब वो, पछतावा कर रहा है

पूरा पढ़े ...

गुरुवार, 23 अगस्त 2012

ashaman ka kehar

ak din shubha hi ashman se
tuta asha kehar barsha bankar
barsha bhi ashe vashe nhe
lekar aai shetej par ashman ka kehar

nab se utare ase ke gav,gale sher
har jagah ase pale ke log ho gay
apane garo ke ander ak bhi na
dekha bhar shdko par

raj asha keya bharsha ne jashe ke
tuta pada

पूरा पढ़े ...

दिल की दरार । (गीत)

दिल की दरार । (गीत)

http://mktvfilms.blogspot.in/2012/08/blog-post_23.html


दिल की दरार से, दर्द का लावा बह रहा है ।


दोस्त, राख बन कर अब वो,

पूरा पढ़े ...

Parivartan

पूरा पढ़े ...

शकुन्तला

दुर्वाशा के वचनो का ना था उन्हे ज्ञान !
वह सुन रही थी पक्षियो का सुरीला गान !!
दुर्वाशा ने क्रोधित होकर कहा

पूरा पढ़े ...

शकुन्तला

दुर्वाशा के वचनो का ना था उन्हे ज्ञान !
वह सुन रही थी पक्षियो का सुरीला गान !!
दुर्वाशा ने क्रोधित होकर कहा

पूरा पढ़े ...

बुधवार, 22 अगस्त 2012

बेक़रार दिल । (गीत)

बेक़रार दिल । (गीत)




दर - दर की ठोकरें खाने को, दिल बेक़रार है ।


किसीने कह दिया उसे, उनको हम से प्यार है

पूरा पढ़े ...

दम तोड़ती रही ज़िंदगी रात-भर

दम तोड़ती रही ज़िंदगी रात-भर

बेपरवाह महफ़िलें सजीं रात-भर

 

दंगों में मरते रहे बच्चे - बूढ़े

इंसानियत शर्मशार रही

पूरा पढ़े ...

मंगलवार, 21 अगस्त 2012

बरसत बरषा परम सुहावन / शिवदीन राम जोशी

बरसत बरषा परम सुहावन ।
रिमझिम रिमझिम बरस रहा है,ये आया सखि सावन ॥
बादर उमड़ी घुमड़ी सखि छाये, दादुर कोयल गीत

पूरा पढ़े ...

रविवार, 19 अगस्त 2012

ललन की बधाई है / शिवदीन राम जोशी

लता पता वृक्षन पे लहर लहर झूम रहे,
हरा सघन वृन्दावन बेल अमर छाई है |
नन्दलाल जनम लियो अष्टमी

पूरा पढ़े ...

भगवान का निवास

भगवान का निवास

वेद-पुराण के परिभाष
कण-कण में इश्वर का वास
जीव-निर्जीव सब में निवास
फिर स्वर्ग में, या वेकुंठ में

पूरा पढ़े ...

दर्दे-ऐ-दिल बताना है

दर्दे-ऐ-दिल बताना है

खुद की बेरुखी पर
वह अगर एक बूंद आंसू बहाते
कसम खुदा की
हम गम का सागर पी जाते

खुद की वेवफाई

पूरा पढ़े ...

मेरा सच

मेरा सच

मैं बिसमताओं से चिन्तित
आवाज़ करता हूँ बुलन्द
सोच से हैरान-परेशान
वातानुकूलित कमरे में बन्द

सवाल

पूरा पढ़े ...

ऐसी भी होती एक आत्म-व्यथा

ऐसी भी होती एक आत्म-व्यथा

उन्मुक्त,आनन्दित, उच्छ्वास सह अभिमान
पुत्र-जन्म घोषित-अघोषित परिणाम- सन्मान
अम्बर

पूरा पढ़े ...

मुक्ती -उपचार,

भाव अदृश्य
क्रिया सदृश्य
तल्लीन अगाध
आद्यन्त निर्बाध
क्रूर’ अन्त पास
दूर फिर भी प्रयास’
समक्ष

पूरा पढ़े ...

"चिंतन" और "चिंता"

"चिंतन" से होती "चेतना" जाग्रत
बिन चेतना से शरीर है मृत
"चिंतन" "चेतना" का रूप करे सिद्ध
"चेतना" आत्मा की शक्ति में

पूरा पढ़े ...

शायद यह ही है कविता

शायद यह ही है कविता

मेरे अंतकरण कोई सूक्ष्म अनुभूति
या नये सुख की उपस्थिति
या अनजाना दर्द की पीड़ा
लगा

पूरा पढ़े ...

लफ्ज की क्या कहें

हर लफ्ज.....
सदीयों से
कभी आग
कभी धुआँ
कभी पानी
कभी बरफ
का अहसास ........!
हर लफ्ज.....
सदीयों से
जलती आग-सा
फैले हुवे धुआँ

पूरा पढ़े ...

कृष्ण-जन्म

कृष्ण-जन्म

जन्मदिन की देने मुबारकवाद,
लेकर आया साथ एक फरियाद,
धर्म की स्थापना को आये, और चले गये
अधर्मीयों

पूरा पढ़े ...

नाम की महिमा

नाम की महिमा

भजो प्रभु का नाम
बिगढ़े, बने तेरे काम
देख हाल प्रभु चकराये
नाम की महिमा से शरमाये
किस तरह लें प्रभु

पूरा पढ़े ...

नव अरुणोदय

नव अरुणोदय

भोर तले नभ में शोभीत अरुणोदय

दूर कंही मंदिर में स्वर गूंजे मंगलमय

अम्बर में रक्तिम उजाला

पूरा पढ़े ...

आया रे सावन

आया रे सावन

खिल उठा मन, चहका चित्तवन, झूमे आंगन आंगन ,
सखीयाँ नाचो-गाओं, धूम मचाओ,बड़ गई धड़कन
बहका-बहका मोसम, भीगी

पूरा पढ़े ...

आनंदमय अनुभव

आनंदमय अनुभव

अवसाद-ग्रस्त एकांत के क्षण ;
बिन आहट मन में करे गुंजन
विषाद या बैराग का है आह्वान
पाप या पुण्य का

पूरा पढ़े ...

तुम्हारा चहेरा

तुम्हारा चहेरा

कभी कभी मन की आँखे खोल
देखता हूँ तुम्हारा जब चहेरा
तढपाते बीते जो पल अनमोल
दिखता है सब

पूरा पढ़े ...

मंजूरी पाना हैं

मिट्टी का काम मूरत बनाना भी होता
अभी हम गीली मिट्टी के बने जरा कच्चे खिलौने हैं
आग में पिघल-कर ही सोना खरा होता
अभी

पूरा पढ़े ...

सच का अनुसंधान !!

क्यों कोई होत बुरा, बात मन को सताय !

जन्मे जब एक से, बुरा कैसे वह बन जाय !!

बुरा जब आदमी नहीं, उस में कैसे आता शैतान

पूरा पढ़े ...

सवक जिन्दगी का

सब जन्मे इक बीज से
सबकी मिट्टी एक
मन मे दुविधा पड़ गयी
हो गये रूप अनेक

जो तू सच्चा मन से
सब से बोल एक
उंच नीच की

पूरा पढ़े ...

विनाश की आहट

सुन्दर नैसर्गिक झलकियाँ
हवा,फिजा और बादियाँ
पर्वत,झरने, और नदियाँ
पेड़, पौधे, और बगियाँ
जंगल, मैदान,और

पूरा पढ़े ...

मिलन की परिभाष

भोर की लाली छाई,स्वर्णिम आभा का प्रकाश,
ली तुमने अब अंगड़ाई,अधखुली नींद का आभास,
यह उलझे बालों की

पूरा पढ़े ...

बदलाव सोच में

बदलते समय के चाहत के घोड़े
सदीयों से सदीयों के अन्तराल में
नित्य नये आयाम की होड़ से
बदलते जा रहें हैं बेहिसाब

पूरा पढ़े ...

गीत कोई नया

मन मेरे गीत कोई नया गुनगुना दो।
स्वर सारे सरगम के सुर सजा दो
छंद मेरे उमढ पढ़ो, गीत प्यारा सा बना दो
मन मेरे गीत कोई

पूरा पढ़े ...

भगवान बनाम इंसान

इंसानों के भगवान
दिखते हैं उनकी कल्पनायों से
जीते हैं उनकी श्रद्धा-बिश्वास से
इंसानों के भगवान
सर्वांग

पूरा पढ़े ...

तेरा अहसास

रह गया मेरे पास...
तेरा प्यार, तेरी तकरार
बदन की खुशबु,
बालों की महक
अनबोले लम्बे कथन
रसीले अधरों का मिलन
अनचाही

पूरा पढ़े ...

“पीकर डगमगाना

“पीकर डगमगाना जरूरी था जीने के लिए,
अब डगमगाता रहता पीने के लिए”.
इसलिए पीने की आदत बुरी जीने के लिए
डगमगाओ मत,ना

पूरा पढ़े ...

हुस्न

हुस्न से बढकर नशे का न कोई मयखाना,
उड़ गए होश, पर चाहत का नहीं भरा पैमाना
होश-में हुवे मदहोश पर नशे से भरा नहीं

पूरा पढ़े ...

स्पर्श

यह स्पर्श न अब वो स्पर्श रहा,
यह स्पर्श न अब कुछ स्पर्श रहा …
सच है कवी आपने सच कहा
जीवन की आपाधापी का यह सच

पूरा पढ़े ...

शनिवार, 18 अगस्त 2012

मैं उस चमन का माली हूँ

मैं उस चमन का माली हूँ
जिसके फूलो पे मेरा आधिकार नहीं

हर फूल नफरत करता है मुझसे
काँटों को भी मुझसे प्यार नहीं

एक

पूरा पढ़े ...

रात ढलती नहीं

रात ढलती नहीं वक्त कटते नहीं
आंसुओं से ये पत्थर पिघलते नहीं
हमसफर भी हमें कुछ ऐसा मिला
साथ में दो कदम साथ चलते

पूरा पढ़े ...

यह दिल भी क्या चीज है

यह दिल भी क्या चीज है
जो हर पल ही तडपता है

शाम सुबेरे जब भी देखो
याद तुम्हारी दे जाता है

हर वक्त तुम्हारे पास

पूरा पढ़े ...

आजादी आजादी चिल्लाते हो

क्या हुआ क्यों इतना शोर मचाते हो
आजादी आजादी चिल्लाते हो

भूख से मरते बच्चे , आनाज फेका जाता है
फिर भी मेरा भारत

पूरा पढ़े ...

बहुत रात हो गई है

मुस्कुराना आब क़यामत की बात हो गई है
कोई कहता है मुझे सो जाओ ,बहुत रात हो गई है

कभी चूमा करता था जिन होठो को मै
उन्ही

पूरा पढ़े ...

मेरे मरने पर आंसू न बहाना

मेरे मरने पर आंसू न बहाना
वफाये भूल जाना तुम
आपने हाथों में मेहंदी सजाना
वफाये भूल जाना तुम
गिला शिकवा हो जो

पूरा पढ़े ...

तुम्हारी नजर झुके तो शाम हो जाये

तुम्हारी नजर झुके तो शाम हो जाये
मयखाने में भीड़ जाम पे जाम हो जाये

तुम चाहो तो कुछ भी कर दो
अगर पानी छु दो तो शराब

पूरा पढ़े ...

ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा !देशभक्ति गीत!

देशभक्ति गीत
________________________________________
ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा !
उजड़ने न पाए चमन ये हमारा !

ज़मीनों फलक ये जंहा के

पूरा पढ़े ...

ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा !देशभक्ति गीत!

देशभक्ति गीत
________________________________________
ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा !
उजड़ने न पाए चमन ये हमारा !

ज़मीनों फलक ये जंहा के

पूरा पढ़े ...

एक बार देखो

इन प्यारी प्यारी नजरो से एक बार देखो
दिल कह रहा है मेरे यार देखो

देखो जवाँ फिजाये कुछ गुनगुना रही है
आओं

पूरा पढ़े ...

शाम होती है

शाम होती है एक दर्द की रात लिए
रुलाती है बहुत दिल की बात लिए

वफा करके बहुत ही दोस्तों
दिल रोता है आँखों में आंसू

पूरा पढ़े ...

बेवफा

जिसे अपने दिल के सबसे करीब पाया
मौत का पैगाम उसी की ओर से आया
हम तो मुस्कुराये तुम मेरी जान लोगे
तो उसने हस कर कहा

पूरा पढ़े ...

बेवफा

जिसे अपने दिल के सबसे करीब पाया
मौत का पैगाम उसी की ओर से आया
हम तो मुस्कुराये तुम मेरी जान लोगे
तो उसने हस कर कहा

पूरा पढ़े ...

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

अक्सर हमारे हाथ यही रह जाता है

अक्सर हमारे हाथ यही रह जाता है

डर और पैसे में इंसाफ़ बिक जाता है

है झूठ तो फाँसी पे चढ़ा दो मुझको

इंसाफ के इंतज़ार

पूरा पढ़े ...

गुरुवार, 16 अगस्त 2012

बात इतनी सी थी

बात इतनी सी थी, फ़साना बना दिया,
तोडकर मेरे दिल को, अफसाना बना दिया..
टूटे दिल के टुकडो को, देखकर जी रहे

पूरा पढ़े ...

यादें

दिन सुहाना था, शाम हसीं है,
फिर भी कुछ कमी सी महसूस होती है,
कोई गर पास है तो फिर क्यों
नयन भरे प्यार

पूरा पढ़े ...

यादें

दिन सुहाना था, शाम हसीं है,
फिर भी कुछ कमी सी महसूस होती है,
कोई गर पास है तो फिर क्यों
नयन भरे प्यार

पूरा पढ़े ...

सपनो के संसार में

तन्हा है दुनिया की भीड़ में हम,
ना ठिकाना, हैं मंजिल की तलाश में गुम,
मिलेगा कभी तो खोया संसार,
अभी भी

पूरा पढ़े ...

ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा !देशभक्ति गीत!

देशभक्ति गीत
________________________________________
ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा !
उजड़ने न पाए चमन ये हमारा !

ज़मीनों फलक ये जंहा के

पूरा पढ़े ...

ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा !देशभक्ति गीत!

देशभक्ति गीत
________________________________________
ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा !
उजड़ने न पाए चमन ये हमारा !

ज़मीनों फलक ये जंहा के

पूरा पढ़े ...

ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा !देशभक्ति गीत!

देशभक्ति गीत
________________________________________
ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा !
उजड़ने न पाए चमन ये हमारा !

ज़मीनों फलक ये जंहा के

पूरा पढ़े ...

हम शर्मिंदा हैं

मै भी तुझसे तू भी मुझसे,कुछ बात से हम शर्मिंदा हैं

न तू भूला न मै भूला, प्यार तो अब भी जिंदा है

 

न कुछ तेरा सब-कुछ

पूरा पढ़े ...

मै एक भारत और मेरे कई मुखड़े !

 
मै एक भारत और मेरे कई मुखड़े,



कही भोज में नित रसगुल्ले, कही सूखे टुकड़े,




कही राम-भरत सा प्रेम, कही विभीषण

पूरा पढ़े ...

खोजूं "सत्यमेव जयते" वाला आमीर

मै तो हूँ आप जैसा एक बंदा

जब झेलू कसता पेट्रोल का फंदा

साफ़-सुथरा जामना लागे गंदा

मन करे है बन जावूँ स्कन्दा !

पूरा पढ़े ...

मै एक भारत और मेरे कई मुखड़े !

 
मै एक भारत और मेरे कई मुखड़े,



कही भोज में नित रसगुल्ले, कही सूखे टुकड़े,




कही राम-भरत सा प्रेम, कही विभीषण

पूरा पढ़े ...

मै एक भारत और मेरे कई मुखड़े !

 
मै एक भारत और मेरे कई मुखड़े,



कही भोज में नित रसगुल्ले, कही सूखे टुकड़े,




कही राम-भरत सा प्रेम, कही विभीषण

पूरा पढ़े ...

सपनो के संसार में

तनहा है दुनिया की भीड़ में हम,
ना ठिकाना, हैं मंजिल की तलाश में गुम,
मिलेगा कभी तो खोया संसार,
अभी भी

पूरा पढ़े ...

सपनो के संसार में

तनहा है दुनिया की भीड़ में हम,
ना ठिकाना, हैं मंजिल की तलाश में गुम,
मिलेगा कभी तो खोया संसार,
अभी भी

पूरा पढ़े ...

सपनो के संसार में

तनहा है दुनिया की भीड़ में हम,
ना ठिकाना, हैं मंजिल की तलाश में गुम,
मिलेगा कभी तो खोया संसार,
अभी भी

पूरा पढ़े ...

बुधवार, 15 अगस्त 2012

गाँधी ने अद्वैत को देखा था...

एक विशाल
अँधेरे बंद कमरे में
लोग एक-एक कर के
अपने-अपने हाथ में
चिराग लेकर प्रवेश करते रहे...
जो गये...लौटकर नहीं

पूरा पढ़े ...

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

हम शर्मिंदा हैं

मै भी तुझसे तू भी मुझसे,कुछ बात से हम शर्मिंदा हैं

न तू भुला न मै भुला, प्यार तो अब भी जिंदा है

 

न कुछ तेरा सब-कुछ

पूरा पढ़े ...

वजह

रेगिस्तान में

रेत की चादर की तरह

मेरी ज़िंदगी भटकती रही

कभी यहाँ, कभी वहाँ

मैं ढूँढता रहा अपना ठिकाना

हवा बहा

पूरा पढ़े ...

बात इतनी सी थी

बात इतनी सी थी, फ़साना बना दिया,
तोडकर मेरे दिल को, अफसाना बना दिया..
टूटे दिल के टुकडो को, देखकर जी रहे

पूरा पढ़े ...

बात इतनी सी थी

बात इतनी सी थी, फ़साना बना दिया,
तोडकर मेरे दिल को, अफसाना बना दिया..
टूटे दिल के टुकडो को, देखकर जी रहे

पूरा पढ़े ...

सोमवार, 13 अगस्त 2012

बता मैं सड़क की तरफ क्यों देखती हूं

बता मैं सड़क की तरफ क्यों देखती ह वह कली और फूल के बीच में कहीं रहती थी। उसका चेहरा फूलों और कलियों के बीच की सुंदरता

पूरा पढ़े ...

बता मैं सड़क की तरफ क्यों देखती हूं

बता मैं सड़क की तरफ क्यों देखती ह वह कली और फूल के बीच में कहीं रहती थी। उसका चेहरा फूलों और कलियों के बीच की सुंदरता

पूरा पढ़े ...

बता मैं सड़क की तरफ क्यों देखती हूं

वह कली और फूल के बीच में कहीं रहती थी। उसका चेहरा फूलों और कलियों के बीच की सुंदरता में कहीं महकता था। जैसे ईश्वर ने

पूरा पढ़े ...

कविताएँ

कामना
कितनी गहरी रही ये खाई
मन काँपता डर से
अतल गहराइयाँ मन की
झाँकने का साहस कहाँ
दूर विजन एकांत में
सरिता कूल

पूरा पढ़े ...

कविताएँ

कामना
कितनी गहरी रही ये खाई
मन काँपता डर से
अतल गहराइयाँ मन की
झाँकने का साहस कहाँ
दूर विजन एकांत में
सरिता कूल

पूरा पढ़े ...

प्यार की लाश

दर्द ही दर्द है, मेरे दिल में सनम
हो गए दूर तुम और कितने, बेबस है हम ..
क्या यही है वफ़ा, होके मुझसे

पूरा पढ़े ...

प्यार की लाश

दर्द ही दर्द है, मेरे दिल में सनम
हो गए दूर तुम और कितने, बेबस है हम ..
क्या यही है वफ़ा, होके मुझसे

पूरा पढ़े ...

सारे रिश्ते सारे नाते

सारे रिश्ते सारे नाते, पल में एक तोड़ चले,
मेरे भग्वन, मेरे अरमां मेरा भरम तोड़ चले,
दिल के अरमानो की जलती चिता को

पूरा पढ़े ...

सारे रिश्ते सारे नाते

सारे रिश्ते सारे नाते, पल में एक तोड़ चले,
मेरे भग्वन, मेरे अरमां मेरा भरम तोड़ चले,
दिल के अरमानो की जलती चिता को

पूरा पढ़े ...

युग तेरा है...

उठो वत्स !
सारी रात जागकर तेरी माँ ने
सम्पूर्ण कथा सुनी है तेरे तात से ।
ओ अभिमन्यु !
उठ...चक्रव्यूह तोड़ दे
युग को

पूरा पढ़े ...

रविवार, 12 अगस्त 2012

दान की बकरी

प्रस्तावना


एक -सुनने आये है l



दुसरा - बताने आये है l




सभी -हम पंचतन्त्र की सुन्दर एक कहानी लाये है

पूरा पढ़े ...

प्रवीण 'फकीर' इक नई शायरी

मुफलिसी, लाचारगी , बेचारगी |ऐसी होती है भला क्या जिंदगी ||

काफ़िये बेदम नज़र आते जहां ,कर रही मातम वहां पर शायरी

पूरा पढ़े ...

बाल मुकुन्दं !!

करारविन्देन पदारविन्दं, मुखारविन्दे विनिवेशयानम !

बटस्य पत्रस्य पुटे शयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि

पूरा पढ़े ...

दान की बकरी

प्रस्तावना


एक -सुनने आये है l



दुसरा - बताने आये है l




सभी -हम पंचतन्त्र की सुन्दर एक कहानी लाये है

पूरा पढ़े ...

Prajatankra

प्रजातंत्र में ,


वाणी की स्वतंत्रता के नाम पार ,


कीचड़ उछालते है l

परनिंदा में प्रवीण ब्यक्ति ,

कुशल

पूरा पढ़े ...

Shabd

शब्द मधुर औ स्नेहयुक्त हो ,

ग्लानि , भय ,छल , कपट

ईर्ष्या , निंदा का न ओदे पट ,

दम्भ ,द्वेष , अभिमान रहित हो l

पूरा पढ़े ...

Hindi Pakhwada

हिंदी है अपनी भाषा , इसकी शान बढाएंगे ,

सब भाषाए बहने इसकी ,

इसका मl न बदयेंगे l

तन में हिंदी , मन में

पूरा पढ़े ...

Dan Ki Bakri

प्रस्तावना


एक -सुनने आये है l



दुसरा - बताने आये है l




सभी -हम पंचतन्त्र की सुन्दर एक कहानी लाये है

पूरा पढ़े ...

शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

गुरुवार, 9 अगस्त 2012

भोले नाथ भगवान् शिव : डॉ आशुतोष वाजपेयी लखनऊ

भोले नाथ भगवान् शिव को एक घनाक्षरी छंद निवेदित है

 

जान्हवी को धारण है किया जटा मध्य

प्रभु कन्ठ सर्प माल ने भी

पूरा पढ़े ...

श्री आदित्याय नमः : सुमंत मिस्र

उषा के गाल पर

लाज की लाली बिखराते

स्वर्णाभ किरणों से

कर देते

प्रकृति को अनावृत्त

निखर पड़ता

अप्रतिम

पूरा पढ़े ...

वेदान्त के प्रकाण्ड विद्वान " श्रीहर्ष " - by Swami Mrigendra Saraswati

वेदान्त के प्रकाण्ड विद्वान " श्रीहर्ष " - by Swami Mrigendra Saraswati

- वेदान्त के प्रकाण्ड विद्वान " श्रीहर्ष " { खण्डनखण्डखाद्य

पूरा पढ़े ...

माँ गंगा : श्री आशुतोष बाजपाई लखनऊ

सवैयाविष्णुपदी शिवशीश सुशोभित आर्यधरा

शुचि पोषक गंगा रोग निवारक साधक के हित

पुण्य पवित्र सुयोजक गंगा निर्मल

पूरा पढ़े ...

प्रवीण 'फकीर' इक नई शायरी

मुफलिसी, लाचारगी , बेचारगी |ऐसी होती है भला क्या जिंदगी ||

काफ़िये बेदम नज़र आते जहां ,कर रही मातम वहां पर शायरी

पूरा पढ़े ...

परशुराम स्तुतिः ॥ Shri Kaviraj Sharma

परशुराम स्तुतिः ॥

कुलाचला यस्य महीं द्विजेभ्यः प्रयच्छतः सोमदृषत्त्वमापुः बभूवुरुत्सर्गजलं समुद्राः स

पूरा पढ़े ...

सच माँ ---- By Smt Renuka Madan Ji

सच माँ ----

माँ कभी तो बतिया जाओ -----------

आओ थोडा वक़्त निकालो

मुझसे यूँ ही बस बतियालो

कुछ मेरे दिल का गुब्बार सह

पूरा पढ़े ...

माँ !!श्री प्रदीप शुक्ल की अमर पंक्तियाँ जो हर माँ के लाल की आवाज हो !

श्री प्रदीप शुक्ल की अमर पंक्तियाँ जो हर माँ के लाल की आवाज हो !

 

घुटनों से रेंगते रेंगते मै कब पैरों पर खड़ा

पूरा पढ़े ...

बाल मुकुन्दं !!

करारविन्देन पदारविन्दं, मुखारविन्दे विनिवेशयानम !

बटस्य पत्रस्य पुटे शयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि

पूरा पढ़े ...

बालं मुकुन्दं

करारविन्देन पदारविन्दं, मुखारविन्दे विनिवेशयानम !

बटस्य पत्रस्य पुटे शयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि

पूरा पढ़े ...

यादें

मैं महाजन नहीं

हिसाब किताब रखूँ

प्यार में

क्या पाया

क्या खोया

जब कभी ख़ुदको

बेबस-असहाय

महसूस किया

ख़ुद पर

पूरा पढ़े ...

गोपाल गोपाल गोपाल :

गोपाल गोपाल गोपाल

कस्तुरी तिलकम ललाटपटले,
वक्षस्थले कौस्तुभम ।
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले,
वेणु करे कंकणम

पूरा पढ़े ...

गोपाल गोपाल गोपाल :

गोपाल गोपाल गोपाल

कस्तुरी तिलकम ललाटपटले,
वक्षस्थले कौस्तुभम ।
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले,
वेणु करे कंकणम

पूरा पढ़े ...

सर जी

तुमने सोचा तो बहुत था

हमें बेड़ियों में बाँध

अपने इशारों पर नचाओगे

चाबुक दिखाकर डराओगे

तुम आगे चलोगे

हम

पूरा पढ़े ...

मंगलवार, 7 अगस्त 2012

वह

खोजते –खोजते मैंने/ उसे उस दिन पा लिया |

मैंने खुशी से हाथ मिलाने की/ कोशिश की

उसने अपनी आँखें /दहक रही भट्ठी की तरह

पूरा पढ़े ...

वह

खोजते –खोजते मैंने/ उसे उस दिन पा लिया |

मैंने खुशी से हाथ मिलाने की/ कोशिश की

उसने अपनी आँखें /दहक रही भट्ठी की

पूरा पढ़े ...

सोमवार, 6 अगस्त 2012

आदिवासी अँधेरे में

आदिवासी तुम भी हो

वो भी हैं,

उनके यहाँ घूमते हैं

ब्रांडेड पंखे और

तुम घुमाते हो ताड़ के पंखे,

उनके यहाँ

बिजली

पूरा पढ़े ...

माँ... क्या हो तुम ?

माँ

क्या हो तुम..?

जेठ की चिलचिलाती धूप हो या

सावन की रिमझिम फुहार,

अनवरत बहने वाली गंगा हो या

किसी झील का शांत

पूरा पढ़े ...

रविवार, 5 अगस्त 2012

दीया अंतिम आस का [एक सिपाही की शहादत के अंतिम क्षण ]

दीया अंतिम आस का, प्याला अंतिम प्यास का

वक्त नहीं अब, हास परिहास उपहास का

कदम बढाकर मंजिल छू लूँ, हाथ उठाकर

पूरा पढ़े ...

तेरी फितरत:-

तेरी फितरत:-
------------------
क्या होती है इबादत ये जानती हूँ मैं !
इस दुनियां के सारे रंग पहचानती हूँ मैं !!
मैं रुसवा हो गयी

पूरा पढ़े ...

मेरी कविताएँ

सोचा था मैंने
अब नहीं लिखूँगा कविताएँ
टूटन की ,घुटन की /लावारिस आँखों के सपनों की
सामाजिक विवशताओं की /जलती हुई

पूरा पढ़े ...

शनिवार, 4 अगस्त 2012

तेरी फितरत:-

तेरी फितरत:-
------------------
क्या होती है इबादत ये जानती हूँ मैं !
इस दुनियां के सारे रंग पहचानती हूँ मैं !!
मैं रुसवा हो गयी

पूरा पढ़े ...

तेरी फितरत:-
——————
क्या होती है इबादत ये जानती हूँ मैं !
इस दुनियां के सारे रंग पहचानती हूँ मैं !!
मैं रुसवा हो गयी

पूरा पढ़े ...

तेरी फितरत:-

तेरी फितरत:-
------------------
क्या होती है इबादत ये जानती हूँ मैं !
इस दुनियां के सारे रंग पहचानती हूँ मैं !!
मैं रुसवा

पूरा पढ़े ...

मेरी कविता बोली .....

एक दिन

मैं कविता लिखने बैठा

की अचानक कहीं से

कविता आ धमकी, बोली-

क्या कर रहे हो..?

मैंने कहा

तुम्हारी रचना कर

पूरा पढ़े ...

मेरी कविताएँ

सोचा था मैंने
अब नहीं लिखूँगा कविताएँ
टूटन की ,घुटन की /लावारिस आँखों के सपनों की
सामाजिक विवशताओं की /जलती हुई

पूरा पढ़े ...

मेरी कविताएँ

सोचा था मैंने
अब नहीं लिखूँगा कविताएँ
टूटन की ,घुटन की /लावारिस आँखों के सपनों की
सामाजिक विवशताओं की /जलती हुई

पूरा पढ़े ...

शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

कैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ मैं………..

शब्द नए चुनकर गीत वही हर बार लिखूँ मैं
उन दो आँखों में अपना सारा संसार लिखूँ मैं
विरह की वेदना लिखूँ या मिलन की

पूरा पढ़े ...

दीया अंतिम आस का [एक सिपाही की शहादत के अंतिम क्षण ]

दीया अंतिम आस का

 

दीया अंतिम आस का, प्याला अंतिम प्यास का

वक्त नहीं अब, हास परिहास उपहास का

कदम बढाकर

पूरा पढ़े ...

प्रकृति

रात की निर्जनता का सृजन कोई बतला दे !
इस उदासता और कठोरता का मर्म कोई बतला दे !!

सात समन्दर की लहरो का अन्त कोई बतला

पूरा पढ़े ...

कैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ मैं………..

शब्द नए चुनकर गीत वही हर बार लिखूँ मैं
उन दो आँखों में अपना सारा संसार लिखूँ मैं
विरह की वेदना लिखूँ या मिलन की

पूरा पढ़े ...

बुधवार, 1 अगस्त 2012

प्रकृती

रात की निर्जनता का सृजन कोई बतला दे !
इस उदासता और कठोरता का मर्म कोई बतला दे !!
सात समन्दर की लहरो का अन्त कोई बतला दे

पूरा पढ़े ...

मेरा परिचय

पता नही क्यू मै अलग खङा हूं दुनिया से !
अपने सपनो को ढूढता विमुख हुआ हूं दुनिया से !!
पता नही क्यूं मै इस दुनिया से अलग

पूरा पढ़े ...

दुःख

दुःख की नही कोइ परीभाषा,
वह है पत्तो की तरह !
आता है बसन्त की तरह,
जाता है पतझण की तरह !!
होता ये धुप छाव की तरह,
अपनो के

पूरा पढ़े ...

मां

ममता और सौहार्द से बनी हुयी है मां !
कोई कहे कुमाता कोई माता लेकिन है मां !!
जिसके स्पर्श भर से बेता प्रसन्न हो उठता

पूरा पढ़े ...

गीत

एक दिन मै बैठा गीत लिख रहा था !
दर्द और प्रेम का संगीत लिख रहा था!!
निःशब्द और अक्षर का निर्जन गीत लिख रहा था !
बिना कगज

पूरा पढ़े ...

भ्रष्टाचार

यहा हर तरफ है बिछा हुआ भ्रष्टाचार !
हर तरफ फैला है काला बाजार !!
राजा करते है स्पेक्ट्रम घोटाला !
जनता कहती है उफ मार

पूरा पढ़े ...

बचपन

उसे बचपन न समझो वह फुल सी कली है !
जहा न हो बच्चे वह कौन सी गली है !!
कुछ की होती है गर्भ मे हत्या !
तथा कुछ करते है यौवन

पूरा पढ़े ...

छू हो गई

बढ़ती उम्र थी, जवानी छू हो गई

खुशबू सूखे गुलाब की छू हो गई

 

अब होश में आए तो क्या आए

जब रोशनी चिरागों की छू हो

पूरा पढ़े ...

हरीयाली

जब आता है सावन और चलती है पुरवाई !
ऐसे मेघ बरसते जैसे हरीयाली आयी !!
शान्त पेङ पर बैठी कोयल करती है गान !
नाचता हुआ मोर

पूरा पढ़े ...